दो मेढकों की कहानी : Two Frogs Story – Moral Story in Hindi

Two Frogs Tale – दो मेंढ़कों की कहानी: हम यहाँ आपको दो मेंढ़कों की एक रोचक कहानी सुनाएंगे। कृपया इस “दो मेंढ़कों की कहानी” को आखिर तक पढ़ें।

Two Frogs Story – दो मेढ़कों की कहानी

किसी गाँव में एक बार, बारिश के मौसम में जंगल के किनारे एक बड़ा गहरा कुआँ था। उस कुएँ में दो मेढ़क रहते थे, जो हमेशा साथ में खेतों में खोज-खोज कर भूखे पेट ही लौटते थे।

एक दिन, बहुत ही अच्छा मौसम था और वे दोनों मेढ़क अपनी मित्रता का जश्न मना रहे थे। एक मेढ़क नामक रामु हमेशा आशावादी रहता था, वह हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखता था। दूसरा मेढ़क, श्यामु, हमेशा नकारात्मक था और हर स्थिति में कुछ ना कुछ बुरा ढूंढ़ता था।

एक दिन, जब रात हो रही थी और सभी कुएँ भर गए थे, श्यामु ने रामु से कहा, “चल, हमें यहाँ से बाहर निकलना चाहिए। कहीं और जा कर हमें भोजन मिलेगा।”

रामु ने हंसते हुए कहा, “तुम हमेशा सोचते हो कि हम कहीं और जाकर बेहतर हालात पाएंगे, लेकिन मैं मानता हूँ कि यहीं सही है। हमें यहाँ रहकर ही कुछ मिलेगा।”

श्यामु ने उसे अवसर देने से मना कर दिया और अकेले ही वह गहरे कुएँ की ओर बढ़ा। उसने कुआँ की गहराई में गिरकर देखा कि पानी उच्च स्तर पर है और वह कुएँ से बाहर नहीं निकल सकता। उसने गहरे पानी में छलांग लगाई, लेकिन बाहर नहीं निकल सका।

उसकी मित्रता की तरह, रामु ने भी कुआँ की ओर बढ़ा लिया और देखा कि पानी का स्तर बहुत नीचे है। वह बिना किसी समस्या के बाहर निकल आया।

श्यामु ने अपनी गलती समझी और बोला, “तुम्हारी सोच सही थी, रामु। मैंने गलत रास्ता चुना और अब मैं यहाँ फंसा हूँ।”

रामु ने कहा, “हमें हमेशा आशावाद और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए। हर स्थिति में कुछ सीखना चाहिए और नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए।”

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना हमेशा हमें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाता है।

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