Top 1 Shiv Chalisa – शिव चालीसा – Shiv Chalisa Lyrics

“शिव चालीसा (Shiv Chalisa)” एक प्रमुख हिन्दू प्रार्थना है जो भगवान शिव को समर्पित की गई है। यह प्रार्थना चालीस श्लोकों (चौपाइयाँ) का संग्रह है जिसमें भगवान शिव के गुण, महत्व, और महिमा का वर्णन किया गया है। शिव चालीसा का पठन भगवान शिव की पूजा और भक्ति में किया जाता है, और इसका महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक माना जाता है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) के चालीस श्लोक शिव भक्ति में गाये जाते हैं, और इसका पठन करने से भक्त भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह प्रार्थना शिव के विभिन्न गुणों को स्तुति करती है, जैसे कि उनकी दया, करुणा, और आध्यात्मिक साक्षरता।

 

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पठन भक्तों को आत्मा के अद्भुत अनुभवों का द्वार खोलता है और उन्हें भगवान शिव के साथ अधिक गहरी भक्ति में ले जाता है। इस प्रार्थना के श्लोक शिव के भक्तों को मानसिक शांति, सुख, और आत्मा की पूर्णता की ओर प्राप्त करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, शिव चालीसा को हिन्दू संस्कृति, कला, संगीत, और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके पठन से प्रेरित कला और साहित्य के उत्कृष्ट रचनात्मक कृतियों के निर्माण में भी योगदान किया जाता है।

इस तरह, “शिव चालीसा” हिन्दू धर्म के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रासंगिक प्रार्थना है जो भगवान शिव की पूजा और भक्ति में गहराई और आत्मिक संबंध बढ़ाने के रूप में उपयोग की जाती है।

श्रीशिव की पूजा में महत्व

“शिव चालीसा” का पठन श्रीशिव की पूजा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उसके महत्व को व्यक्त करता है। निम्नलिखित कुछ कारण हैं जिनके कारण “शिव चालीसा” की पूजा श्रीशिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है:

1. भगवान शिव की महिमा का गुणगान:

“शिव चालीसा” में भगवान शिव के गुण, महिमा, और अनुग्रह का वर्णन किया गया है। इस प्रार्थना के श्लोक भगवान शिव के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुणों को प्रस्तुत करते हैं, जैसे कि उनकी करुणा, दया, और सहानुभूति। यह पूजा उनकी महिमा का स्तुति करती है और उनके अद्वितीय स्वरूप के प्रति भक्ति को बढ़ावा देती है।

2. आत्मा की शांति और सुख:

“शिव चालीसा” का पठन भक्तों को मानसिक शांति, सुख, और आत्मा की पूर्णता की ओर मार्गदर्शन करता है। यह पूजा भक्तों को आत्मा के अद्भुत अनुभवों का द्वार खोलती है और उन्हें भगवान शिव के ध्यान में ले जाती है, जिससे उन्हें मानसिक और आत्मिक सुख प्राप्त होता है।

3. आराधना और समर्पण:

शिव चालीसा का पठन भक्तों को भगवान शिव की आराधना और समर्पण का माध्यम प्रदान करता है। इसके श्लोक भक्तों को शिव के प्रति आदर्श और विश्वास की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें उनके व्यक्तिगत जीवन में शिव के साथ एक गहरा और सात्मिक जुड़ने का माध्यम प्रदान करते हैं।

4. सात्मिक विकास:

शिव चालीसा का पठन भक्तों के सात्मिक और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है। यह प्रार्थना भक्तों को आदर्श और नैतिक मूल्यों का पालन करने की दिशा में मार्गदर्शन करती है और उन्हें आत्मा के साथ संबंध बनाने का सात्मिक मार्ग प्रदान करती है।

5. भगवान शिव की कृपा प्राप्ति:

शिव चालीसा का पठन भक्तों को भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। भक्त इस पूजा के माध्यम से अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए शिव की आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में सुख और समृद्धि का आभास होता है।

इस तरीके से, “शिव चालीसा” का पठन श्रीशिव की पूजा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भक्तों को उनके आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने में मदद करता है। यह प्रार्थना श्रीशिव की भक्ति, समर्पण, और आराधना का महत्व प्रस्तुत करती है और उनके दिव्य स्वरूप की महिमा का स्तुति करती है।

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का इतिहास:

शिव चालीसा हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण प्रार्थना है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह प्रार्थना भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा और आराधना के रूप में प्रारंभ की जाती है। इस प्रार्थना की शुरुआत के बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसका प्राचीनतम रूप महाकाव्य “रुद्राष्टकम” में भी पाया जाता है, जिसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है।

शिव चालीसा का महत्व: शिव चालीसा का पठन अक्सर महाशिवरात्रि और सावन मास के श्रावण सोमवार को भक्तों द्वारा बड़े धूमधाम से किया जाता है। यह प्रार्थना भगवान शिव के गुणों की महिमा को स्तुति करती है और उनके भक्तों को उनके आध्यात्मिक अद्भुतता के प्रति प्रेरित करती है।

आजकल, “शिव चालीसा” का पठन विश्वभर में हिन्दू भक्तों द्वारा किया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रार्थना है जो भगवान शिव के साथ भक्त के आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करती है। इसके अलावा, यह प्रार्थना हिन्दू संस्कृति, कला, संगीत, और साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और भगवान शिव की महिमा को संवादनात्मक रूप से प्रस्तुत करती है।

इसके रूप में, “शिव चालीसा” भगवान शिव के आदर्शों, गुणों, और महत्व की जानकारी के साथ हिन्दू धर्म के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रार्थना है।

शिव चालीसा की उत्पत्ति

“शिव चालीसा” की विशेष उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे प्राचीन काल से हिन्दू धर्म के भक्तों के बीच प्रार्थना और आराधना के रूप में प्रचलित किया जाता है। यह प्रार्थना पुराने समय से ही भगवान शिव के गुणों और महिमा की स्तुति के रूप में प्रचलित है और इसका पठन भक्तों के द्वारा उनके आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने के लिए किया जाता है।

लेखकों: “शिव चालीसा” के वाचन में कोई विशिष्ट लेखक का उल्लेख नहीं है, क्योंकि यह प्रार्थना प्राचीन समय से ही मौजूद थी और इसका लेखन विभिन्न संतों, ऋषियों और भक्तों के द्वारा किया गया हो सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की पूजा और आराधना करना है, और उनके गुणों की महिमा का वर्णन करना है।

रचना के संदर्भ: “शिव चालीसा” का पठन अक्सर महाशिवरात्रि और सावन मास के श्रावण सोमवार को भक्तों द्वारा बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस प्रार्थना के रचनाकार के अबस्थान और काल संदर्भ के बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं होती है, लेकिन इसका उद्देश्य भगवान शिव के भक्तों को उनके आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने में मदद करना है। “शिव चालीसा” का पठन हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रार्थना है और इसका महत्व उनके आध्यात्मिक जीवन में बड़ा है।

 

शिव चालीसा की संरचना की व्याख्या:

“शिव चालीसा” एक प्रमुख हिन्दू प्रार्थना है जो भगवान शिव के समर्पित की गई है और इसकी संरचना ध्यानपूर्वक बनाई गई है ताकि भक्त उसे आसानी से पढ़ सकें और उसके माध्यम से भगवान शिव की पूजा कर सकें।

1. शिव चालीसा की छंदों की संख्या: “शिव चालीसा” में कुल मिलाकर 40 छंद होते हैं, जिन्हें चौपाइयाँ (चौपाई) कहा जाता है। यह 40 छंद भगवान शिव की महिमा, गुण, और महत्व का वर्णन करते हैं और भक्तों को उनकी पूजा और भक्ति के लिए प्रेरित करते हैं।

2. छंद का ढंग: शिव चालीसा के छंद चौपाइयाँ होते हैं, जिनका मूल संरचना चार लाइनों में होता है। प्रत्येक चौपाई में, पहली और तीसरी पंक्ति में 11 स्वर होते हैं, जबकि दूसरी और चौथी पंक्ति में 10 स्वर होते हैं। यह संरचना ध्यानपूर्वक रखी गई है ताकि प्रार्थना का पठन सुविधाजनक हो सके और भक्त उसे आसानी से स्मरण कर सकें।

3. शिव चालीसा की भाषा: “शिव चालीसा” की भाषा संस्कृत में होती है, जिसमें शास्त्रीय देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है। इसका लक्ष्य भक्तों को प्रार्थना को सही ढंग से पढ़ने और उसे समझने में मदद करना है।

4. छंदों के साथ संगीत: अक्सर “शिव चालीसा” को गाया जाता है, और इसमें संगीत का भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संगीत के साथ इसका पठन करने से प्रार्थना का माहौल अत्यधिक भव्य होता है और भक्तों को शिव की पूजा में और भी अधिक विश्वास और भक्ति मिलती है।

5. संरचना का महत्व: “शिव चालीसा” की संरचना का महत्व है क्योंकि यह भक्तों को भगवान शिव के गुण, महिमा, और महत्व का वर्णन करने के लिए एक व्यवस्थित और सुविधाजनक तरीके से प्रेरित करता है। इसका पठन भगवान शिव की पूजा और भक्ति में गहराई और आत्मा की पूर्णता की ओर मार्गदर्शन करता है।

 

शिव चालीसा की रचना

ॐ नमः शिवाय।

जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।
भगवान शिव के अद्भुत गुणों का स्तोत्र।

॥ दोहा ॥
जय गिरिजापति दीनदयाला।
सदा करत संतन प्रतिपाला।

॥ चालीसा ॥
नित्यफल प्रदायक अंग्रेजी में लिप्यांतरण।

चौपाइ:
जय गिरिराज क्रिपालु दीनदयाला।
सदा करत संतन प्रतिपाला।
आरती कीजै जय जगदीश हरने।
श्रमन्दल मंदल काल कण्ठ धरने।।

अर्थ:
हे गिरिराज (कैलास पर्वत के राजा) के कृपालु और दीनदयालु! आप सदा ही अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनका पालन-पोषण करते हैं। हे जगदीश्वर (जगत के ईश्वर), आपके आराधना का अर्थ है कि हम आपकी पूजा करते हैं, जिन्दगी के समस्त कष्टों को दूर करने वाले, और मृत्यु के समय कांपने वाले शिव के धरणे वाले हैं।

अब आप शिव चालीसा के छंदों का पठन और समझ सकते हैं, जो भगवान शिव की महिमा का स्तोत्र है। यह प्रार्थना भगवान शिव के आदर्शों और गुणों की स्तुति करती है और उनके भक्तों को पूजा और भक्ति के लिए प्रेरित करती है।

भगवान शिव की भक्ति

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की भक्ति का महत्व बहुत उच्च है और उनका आदर्श और गुणों का मानना हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण भाग है। यहां हम भगवान शिव की भक्ति और इसकी महत्वपूर्णता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानेंगे:

1. महत्वपूर्ण देवता:

भगवान शिव हिन्दू धर्म के त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) के तीनों मुखों के एक स्वरूप हैं। वे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, और सर्वव्यापी हैं। उन्हें सृष्टि, स्थिति, और संहार का देवता माना जाता है, और उनका आदर तीनों लोकों में होता है।

2. महादेव की भक्ति का मार्ग:

भगवान शिव की भक्ति हिन्दू धर्म में एक अद्वितीय मार्ग है जो आत्मा के आत्मा से मिलान की ओर जाता है। उनकी पूजा और भक्ति आत्मा के आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देती है और मानव जीवन को धार्मिक और नैतिक मूल्यों के साथ जीने में मदद करती है।

3. अनुष्ठान और प्रार्थना का हिस्सा:

भगवान शिव की पूजा और भक्ति का अनुष्ठान हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, और अन्य शिव स्तोत्र और मंत्र उनके प्रसाद का हिस्सा होते हैं और उन्हें पढ़कर उनकी आराधना की जाती है।

4. सम्पूर्णता की प्रतीक:

भगवान शिव के साथ जुड़े धार्मिक कथाओं में, वे सम्पूर्णता और आत्मा की ऊंचाइयों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। उनका ध्यान और साधना भक्तों को आत्मिक शांति और सुख प्रदान करते हैं।

5. महाशिवरात्रि:

महाशिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों में भगवान शिव की भक्ति और पूजा का महत्व विशेष रूप से प्रकट होता है। इस दिन भक्तों द्वारकापुरी का दर्शन करते हैं और उनकी पूजा करते हैं, जिससे उन्हें शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इन सभी कारणों से, भगवान शिव की भक्ति हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और यह भक्तों को आत्मा के साथ गहरा संबंध बनाने और आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है।

श्रीशिव चालीसा का अर्थ:

  1. दोहा (समर्पण श्लोक): जो गिरिजापति दीनदयाला हैं, वही हमारा सर्वोत्तम आदर्श हैं। हम सदा उनकी आराधना करते हैं, जो हमारे संतनों का पालन-पोषण करते हैं।
  2. चौपाइ (भगवान शिव की महिमा का वर्णन): भगवान शिव के गुणों की महिमा की तारीक है, जो हमें उनके भक्त बनने के लिए प्रेरित करती है।
    • जय गिरिराज क्रिपालु दीनदयाला: हे गिरिराज (कैलास पर्वत के राजा) के कृपालु और दीनदयालु! आप हमें सदा रक्षा करते हैं और हमारे पालन-पोषण करते हैं।
    • सदा करत संतन प्रतिपाला: आप हमारे संतानों की हमेशा देखभाल करते हैं और उनका पालन-पोषण करते हैं।
    • आरती कीजै जय जगदीश हरने: हे जगदीश्वर (जगत के ईश्वर), हम आपकी आराधना करते हैं।
    • श्रमन्दल मंदल काल कण्ठ धरने: जिन्होंने काल के कंठ में धारण किया है और उनका समय भी बहुत कम है।

इस तरह, “शिव चालीसा” भगवान शिव के गुणों और महिमा का वर्णन करती है और उनके भक्तों को उनकी पूजा और भक्ति के लिए प्रेरित करती है, जिससे उनका आत्मा के साथ गहरा संबंध बनता है।

 

शिव चालीसा के पठन के लाभ

“शिव चालीसा” का नियमित पठन आध्यात्मिक और व्यक्तिगत फायदों का अनुभव करने में मदद कर सकता है, और यह कई तरह के सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित कर सकता है। निम्नलिखित हैं कुछ ऐसे लाभ और अनुभव जो “शिव चालीसा” के पठन के माध्यम से हो सकते हैं:

1. आत्मिक शांति और सुख:

“शिव चालीसा” का पाठ मानसिक शांति और सुख की ओर मार्गदर्शन करता है। यह पूजा भक्तों को भगवान शिव के प्रति विश्वास और सहानुभूति के साथ उनके मानसिक और आत्मिक सुख का अनुभव करने में मदद करती है।

2. आत्मा के साथ जुड़ाव:

“शिव चालीसा” का पठन आत्मा के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देता है और भक्त को अपने आत्मा की खोज में मदद करता है। यह प्रार्थना आत्मा के साथ एक गहरा और आत्मिक संबंध बनाने के लिए मार्गदर्शन करती है और आत्मा के आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करती है।

3. धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन:

“शिव चालीसा” का पाठ भक्तों को धर्मिक और नैतिक जीवन में सही राह दिखाने में मदद करता है। यह पूजा भक्तों को आदर्श और नैतिक मूल्यों का पालन करने की दिशा में मार्गदर्शन करती है और उन्हें उनके जीवन में सजीव भगवान शिव के साथ एक सात्मिक जुड़ने का सात्मिक मार्ग प्रदान करती है।

4. आत्मिक विकास का साधना:

“शिव चालीसा” का पठन भक्तों के सात्मिक और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है। यह प्रार्थना भक्तों को आदर्श और आत्मा के साथ एक सात्मिक जुड़ने की दिशा में मार्गदर्शन करती है और उन्हें आत्मा की पूर्णता की ओर अग्रसर करती है।

इस तरह, “शिव चालीसा” का नियमित पठन भक्तों को आत्मा के साथ गहरा संबंध बनाने में मदद कर सकता है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सकता है। यह एक आध्यात्मिक और मानवता के लिए महत्वपूर्ण उपासना है जो भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

 

पॉपुलर भक्तिपूजा प्रथाएँ

शिव चालीसा को नियमित रूप से पठने की प्रथा हिन्दू भक्तिपूजा में एक महत्वपूर्ण भाग है और इसके साथ कुछ अन्य पॉपुलर भक्तिपूजा प्रथाएँ होती हैं। निम्नलिखित हैं कुछ आम पूजा प्रथाएँ और उनका विवरण:

1. दैनिक पठन: अधिकांश शिव भक्त शिव चालीसा का दैनिक पठन करते हैं। यह उनके दैनिक धार्मिक अभ्यास का हिस्सा बनता है और उन्हें भगवान शिव के प्रति अपने आदरभाव को दर्शाता है। इसके अलावा, कुछ लोग उपवास के दिन भी शिव चालीसा का पठन करते हैं।

2. शिवरात्रि पूजा: महाशिवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जिसे भगवान शिव के समर्पण में मनाया जाता है। इस दिन भक्तों द्वारकापुरी का दर्शन करते हैं और शिव चालीसा का पाठ करते हैं, जिससे उन्हें शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

3. श्रावण मास की सोमवार पूजा: श्रावण मास (सावन) के सोमवार को भगवान शिव के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। इसके दौरान, भक्त सोमवार को शिव चालीसा का पठन करते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं।

4. शिवरात्रि की रात्रि जागरण: शिवरात्रि की रात्रि में भक्त शिव चालीसा का पठन करते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं। यह रात्रि जागरण में गीत, भजन, और कथाएँ भी आयोजित की जाती हैं।

5. मंदिरों में पूजा: शिव चालीसा का पठन मंदिरों में भी नियमित रूप से किया जाता है, और भक्त वहां आकर इस पूजा का अभ्यास करते हैं।

ये पॉपुलर भक्तिपूजा प्रथाएँ हैं जिनमें शिव चालीसा का पठन और उसकी महिमा का महत्वपूर्ण भाग होता है। यह पूजाओं के माध्यम से भगवान शिव के प्रति भक्तों के आदरभाव को दर्शाते हैं और उन्हें आध्यात्मिक सफलता और शांति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

 

व्यक्तिगत अनुभव

मेरे व्यक्तिगत अनुभव में, “शिव चालीसा” का पठन मेरे आध्यात्मिक सफर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रार्थना मेरे जीवन को संतुलित करने में मदद करती है और मेरे मानसिक और आत्मिक स्थिति को सुधारने में मदद करती है।

मैंने यह प्रार्थना पहली बार अपने माता-पिता के साथ गाँव के एक छोटे से मंदिर में की थी, जब मैं छोटा था। उस समय से ही मैंने इसे नियमित रूप से पठन करना शुरू किया और इसे मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया।

“शिव चालीसा” के पठन से मुझे आत्मा के साथ गहरा जुड़ाव मिलता है। यह मेरे आत्मा को शांति और सुख की ओर मार्गदर्शन करता है और मेरे जीवन को सार्थक बनाने में मदद करता है। इस प्रार्थना का पाठ करते समय, मैं अपने मानसिक अवस्था को सुधारने और सकारात्मक दिशा में सोचने की ओर प्रासरण करता हूँ।

मेरे साथी भक्तों के भी यदि यहां कुछ अनुभव और विचार साझा करना चाहें, तो उनका स्वागत है। इसके माध्यम से आप सभी भक्तों के साथ आपके आत्मिक सफलता के किस्से सुन सकते हैं और यहां की बजाय हम सभी को और अधिक प्रेरित कर सकते हैं।

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