बच्चों की कहानी : बच्चों की कहानियां हमारे समाज का मूल हैं। ये कहानियां हमारे बच्चों के जीवन को शिक्षाप्रद और मनोरंजनमय बनाती हैं, उन्हें अच्छे नैतिक मूल्यों की ओर बढ़ाती हैं और उनकी सोचने की क्षमता को बढ़ाती हैं। इस ब्लॉग में, हम आपको छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियों का संग्रह प्रस्तुत करेंगे। ये कहानियां न केवल उनके मनोरंजन के लिए हैं, बल्कि उनके अध्ययन और आदर्शों को भी बढ़ावा देने के लिए हैं।
बच्चों की कहानी : सोनू की मगरमच्छ की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक छोटे से लड़के का नाम सोनू था। सोनू बहुत ही खुश दिनों के साथ गुजर रहा था, लेकिन उसका सपना था कि वह कभी भी मगरमच्छ को पालने का मौका पाए।
एक दिन, सोनू अपने दोस्त के साथ नदी के किनारे खेल रहा था। वह बच्चों के बीच में एक अद्वितीय मगरमच्छ को देखा, जिसका रंग बिल्कुल हरा था। सोनू बिना सोचे समझे वह मगरमच्छ को पकड़ लिया और अपने घर ले गया।
सोनू की माँ बहुत ही परेशान हो गई क्योंकि मगरमच्छ पालने के लिए उनके पास कोई अनुमति नहीं थी। लेकिन सोनू के दिल में एक दरियादिल नीति थी, वह मगरमच्छ की देखभाल करना चाहता था।
सोनू ने वो मगरमच्छ गोद में रखा और उसके लिए एक विशेष जगह तैयार की। उसने उसको अच्छी तरह से खिलाया, प्यार से देखभाल की, और उसके साथ खेला। मगरमच्छ भी धीरे-धीरे सोनू की मित्रता करने लगा।
कुछ सालों बाद, गांव में एक बड़ा मेला आया। सोनू ने अपने मगरमच्छ को मेले पर लेकर गया और वहां उसका साथी बनाने की कोशिश की। लोग हैरान थे क्योंकि एक छोटे से लड़के ने एक मगरमच्छ को इतनी अच्छी तरह से पाला-बढ़ा कैसे सकता है।
मगरमच्छ ने एक खास प्रस्ताव दिया – वह सोनू के साथ मेले के अखाड़े में महसूस करना चाहता था कि क्या वास्तव में वह एक आम बच्चा नहीं रह गया है।
मेले के दिन, मगरमच्छ ने अपनी असली पहचान दिखाई – वह पूरी तरह से एक मगरमच्छ बन गया और जल्दी ही ने दूसरे मगरमच्छों के साथ में खेलने लगा। सोनू अब जान चुका था कि वह मगरमच्छ के साथ खेल नहीं सकता, लेकिन वह गर्वित था क्योंकि उसने उसे अच्छी तरह से पाला-बढ़ा था।
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कहानी का निष्कर्ष :
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने सपनों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें कभी उसे छोड़ने का मौका नहीं देना चाहिए। सोनू ने अपने सपनों को पूरा किया और दुनिया को दिखा दिया कि हर किसी की दिल से आने वाली मेहनत कुछ भी संभव बना सकती है।
बच्चों की कहानी : गोलू और बोलू की दोस्ती
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में दो छोटे से बच्चे रहते थे। उनके नाम गोलू और बोलू थे। गोलू का रंग हरा था, जबकि बोलू का रंग पीला था।
गोलू और बोलू की दोस्ती बचपन से शुरू हुई थी। वे हमेशा साथ खेलते, बड़े अच्छे दोस्त थे। वे एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक करते और समय बिताते।
एक दिन, गोलू ने एक बड़ी सुंदर गुब्बारे को देखा और सोचा, “मुझे इस गुब्बारे को तोड़ना है।” वह गुब्बारे के पास गया और कोशिश करने लगा। परंतु गुब्बारा टूट गया और गोलू के हाथ चुभे।
गोलू के हाथ में चोट आ गई और वह रोने लगा। उसके आंसू बोलू को देखकर दुखी हो गए। वह गोलू के पास गया और कहा, “गोलू, मैं जानता हूँ कि तुझे गुब्बारे का खोना है, परंतु तू अपने दोस्त को क्यों चोट पहुँचाए?”
गोलू ने अपनी भूल को समझा लिया और बोला, “तू सही कह रहा है, बोलू। मैं अपने दोस्त के साथ हूँ, यह ही सबसे महत्वपूर्ण है।”
बोलू ने गोलू की चोट पर दवा लगाई और वे फिर से खुशी-खुशी खेलने लगे। उनकी दोस्ती मजबूत हुई और उन्होंने सीखा कि दोस्ती हर कुछ से अधिक मूल्यवान होती है।
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दोस्ती में समर्पण और सहयोग होना महत्वपूर्ण होता है।